दीवार की चिनाई (brick masonary) कैसे करें।

Civil Engineering में Brick (ईंट) का महत्व, निर्माण प्रक्रिया और टेस्टिंग

निर्माण कार्यों में ईंट (Brick) सबसे पुरानी और सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली बिल्डिंग मटेरियल्स में से एक है। प्राचीन समय से लेकर आधुनिक कंस्ट्रक्शन तक, ईंट का उपयोग दीवारों, फर्श, छत, नींव और संरचनाओं के विभिन्न हिस्सों में होता आया है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि Civil Engineering में ईंट का महत्व क्या है, ईंट कैसे बनती है और उस पर कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं।


ईंट का महत्व (Importance of Brick in Civil Engineering)

1. ऐतिहासिक महत्व

ईंटों का उपयोग हजारों वर्षों से निर्माण में हो रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) से लेकर आधुनिक बिल्डिंग्स तक, ईंटें इंसानी विकास की गवाह रही हैं।

2. स्ट्रक्चरल महत्व

  • ईंट हल्की होने के बावजूद मजबूत होती है।
  • यह कंक्रीट और स्टील के साथ मिलकर स्ट्रक्चरल स्थिरता प्रदान करती है।
  • लोड-बेयरिंग स्ट्रक्चर में ईंट की दीवारें मुख्य भूमिका निभाती हैं।

3. आर्थिक महत्व

  • ईंटें सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती हैं।
  • लोकल स्तर पर तैयार होने से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी कम होती है।

4. आर्किटेक्चरल महत्व

  • ईंट से बने भवन देखने में आकर्षक लगते हैं।
  • विभिन्न डिजाइनों और टेक्सचर के साथ इन्हें उपयोग किया जा सकता है।

5. थर्मल और ध्वनिक महत्व

  • ईंट गर्मी और ठंड को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  • यह साउंड इंसुलेशन भी प्रदान करती है।

ईंट कैसे बनती है? (Manufacturing Process of Bricks)

ईंट निर्माण की प्रक्रिया मुख्यतः निम्नलिखित चरणों में होती है:

1. मिट्टी का चयन (Selection of Soil)

  • ईंट बनाने के लिए चिकनी मिट्टी (Clay) का उपयोग किया जाता है।
  • मिट्टी में उचित मात्रा में सिलिका, ऐलुमिना, चूना और ऑक्साइड्स होने चाहिए।

2. मिट्टी की खुदाई और तैयारी (Excavation and Preparation of Soil)

  • मिट्टी को जमीन से निकाला जाता है।
  • इसे पानी डालकर गूँधा जाता है ताकि इसमें समानता आए।
  • पत्थर, जड़ें और अन्य अशुद्धियाँ निकाल दी जाती हैं।

3. मोल्डिंग (Moulding)

  • तैयार मिट्टी को लकड़ी या लोहे के साँचे (Mould) में भरकर ईंट का आकार दिया जाता है।
  • दो प्रकार की मोल्डिंग होती है:
    • हाथ से मोल्डिंग (Hand Moulding)
    • मशीन से मोल्डिंग (Machine Moulding)

4. सुखाना (Drying)

  • ढली हुई कच्ची ईंटों को धूप में सुखाया जाता है।
  • सुखाने से ईंटों में से पानी निकल जाता है और यह मजबूत हो जाती हैं।

5. जलाना (Burning)

  • सूखी ईंटों को भट्टियों (Kilns) में जलाया जाता है।
  • जलाने का तापमान लगभग 1000°C से 1200°C तक होता है।
  • इससे ईंट कठोर और टिकाऊ हो जाती है।

6. ठंडा करना और स्टोरेज (Cooling and Storage)

  • भट्टी से निकालने के बाद ईंटों को ठंडा किया जाता है।
  • इसके बाद इन्हें मार्केट में भेजा जाता है।

ईंटों के प्रकार (Types of Bricks)

1. मिट्टी की ईंट (Clay Bricks)

सबसे सामान्य प्रकार की ईंट जो मिट्टी से बनाई जाती है।

2. फ्लाई ऐश ईंट (Fly Ash Bricks)

पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश से बनी पर्यावरण-अनुकूल ईंट।

3. फायर ब्रिक्स (Fire Bricks)

अत्यधिक तापमान सहने के लिए विशेष रूप से बनाई गई ईंटें।

4. इंजीनियरिंग ब्रिक्स (Engineering Bricks)

अत्यधिक स्ट्रेंथ और कम वॉटर एब्जॉर्प्शन वाली ईंटें।

5. कंक्रीट ब्रिक्स (Concrete Bricks)

सीमेंट, बालू और पानी से बनाई गई ईंटें।


ईंटों की विशेषताएँ (Properties of Good Bricks)

  • एक समान आकार और रंग होना चाहिए।
  • 15% से अधिक पानी अवशोषित नहीं करना चाहिए।
  • ध्वनि निकालने पर खनखनाहट की आवाज आनी चाहिए।
  • ठोस और बिना दरार की होनी चाहिए।
  • न्यूनतम 3.5 N/mm² की क्रशिंग स्ट्रेंथ होनी चाहिए।

ईंट पर किए जाने वाले टेस्ट (Tests on Bricks)

1. Compressive Strength Test (दबाव शक्ति परीक्षण)

  • ईंट की लोड-बेयरिंग क्षमता जांचने के लिए।
  • Brick Crushing Strength Test द्वारा यह पता चलता है कि ईंट कितने दबाव को सहन कर सकती है।

2. Water Absorption Test (जल अवशोषण परीक्षण)

  • ईंट को 24 घंटे पानी में डुबोया जाता है।
  • वजन में 15% से अधिक वृद्धि नहीं होनी चाहिए।

3. Efflorescence Test (सफेद धब्बा परीक्षण)

  • पानी में घुलनशील लवणों के कारण ईंट पर सफेद धब्बे बनते हैं।
  • अच्छी ईंट पर ऐसे धब्बे नहीं आने चाहिए।

4. Hardness Test (कठोरता परीक्षण)

  • ईंट की सतह पर नाखून से खरोंच लगाने पर निशान नहीं पड़ना चाहिए।

5. Soundness Test (ध्वनि परीक्षण)

  • दो ईंटों को आपस में टकराने पर साफ खनखनाहट की आवाज आनी चाहिए।

6. Shape and Size Test (आकार और आकारिकी परीक्षण)

  • ईंट का आकार और आयाम IS कोड के अनुसार होना चाहिए।

7. Impact Test (प्रभाव परीक्षण)

  • ईंट को 1 मीटर की ऊँचाई से गिराकर देखा जाता है।
  • अच्छी ईंट टूटनी नहीं चाहिए।

8. Thermal Conductivity Test (ऊष्मा चालकता परीक्षण)

  • यह जांचने के लिए कि ईंट तापमान को किस हद तक रोक सकती है।

9. Porosity Test (छिद्रता परीक्षण)

  • यह पता लगाने के लिए कि ईंट में कितने छिद्र हैं और वह कितना पानी सोख सकती है।

ईंटों से संबंधित भारतीय मानक (IS Codes for Bricks)

  • IS 1077: 1992 – Common Burnt Clay Building Bricks
  • IS 3495 (Part 1 to 4): 1992 – Bricks के Test के लिए
  • IS 2180: 1988 – Burnt Clay Perforated Building Bricks
  • IS 3952: 1988 – Hollow Clay Bricks

ईंट का उपयोग (Uses of Bricks in Construction)

  • दीवार निर्माण (Wall Construction)
  • फर्श (Flooring)
  • पुल और कलवर्ट (Bridges and Culverts)
  • नींव (Foundation)
  • सजावटी कार्य (Architectural Works)
  • पक्की सड़कें (Pavements and Roads)

निष्कर्ष (Conclusion)

ईंटें (Bricks) Civil Engineering के लिए नींव का पत्थर कही जाती हैं। यह न केवल मजबूत और टिकाऊ होती हैं बल्कि आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभदायक हैं। सही प्रकार की ईंट का चयन और उसका परीक्षण करना किसी भी निर्माण कार्य की गुणवत्ता और आयु सुनिश्चित करता है।


✅ इस ब्लॉग में आपने जाना:

  • ईंट का महत्व
  • ईंट कैसे बनती है
  • ईंटों के प्रकार
  • ईंट की विशेषताएँ
  • ईंटों पर किए जाने वाले टेस्ट

👉 यदि आप एक सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी, इंजीनियर या कंस्ट्रक्शन फील्ड से जुड़े हैं तो ईंटों की यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी है।



👉 “अगर आप Plinth Beam in Building या FSI in Building Construction के बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारे पिछले ब्लॉग पोस्ट भी पढ़ें।”


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